

धन्वंतरि पूजन क्यों मनाया जाता है एवं उसके उद्देस्य महत्व के बारे में भी बिस्तर से बताया गया एवं धन्वंतरि पूजन पूरे जोश के साथ मनाया गया। शुरुआत भगवान धन्वंतरि की पूजा से हुई, जो भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता और भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। प्रतिवर्ष धनतेरस के दिन उनका पूजन विशेष रूप से आरोग्य और उत्तम स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है.
पीपल्स यूनिवर्सिटी के फार्मेसी बिभाग में धन्वंतरि पूजन कार्यक्रम मानाने का प्रमुख उद्देश्य छात्र छात्राओ को भारतीय ज्ञान एवं परम्पराओ से अवगत करना धन्वंतरि पूजन का मुख्य उद्देश्य उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु (दीर्घायु) और निरोगता की प्राप्ति है, क्योंकि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है, जो समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इस पूजा से शारीरिक, मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जैसे
- रोगों से मुक्ति: सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों, असाध्य रोगों से छुटकारा पाना.
- आरोग्य और दीर्घायु: स्वस्थ, निरोगी और लंबी उम्र का वरदान प्राप्त करना, क्योंकि ‘स्वस्थ शरीर ही सच्चा धन है’.
- जीवन शक्ति और ऊर्जा: जीवन शक्ति और ऊर्जा के स्तर में सुधार करना.
- समृद्धि और कल्याण: स्वास्थ्य के साथ-साथ घर में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक कल्याण लाना.
- भगवान विष्णु की कृपा: भगवान विष्णु के अवतार होने के कारण, उनकी कृपा और ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्राप्त करना.
धन्वंतरि पूजा का महत्व
भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनके पूजन से न केवल स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त होता है。 इस दिन भारत में ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस‘ भी मनाया जाता है。
- धनतेरस (कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी) पर की जाती है.
- यह पर्व आयुर्वेद के जनक, भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, जो अमृत कलश लिए हुए हैं.
- इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि, आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है और अच्छी सेहत और खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं।