




भारतीय ज्ञान परंपरा और गणितीय पृष्ठभूमि – भारतीय ज्ञान परंपरा और गणित का गहरा संबंध है, जहाँ शून्य (0), दशमलव प्रणाली, बीजगणित, ज्यामिति (पाइथागोरस प्रमेय के पूर्व ज्ञान सहित), त्रिकोणमिति (साइन और कोसाइन), और कैलकुलस जैसी मूलभूत अवधारणाएँ विकसित हुईं; आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, भास्करचार्य और रामानुजन जैसे गणितज्ञों ने वैश्विक गणित को समृद्ध किया, वैदिक गणित जैसी सरल विधियाँ प्रदान कीं, और आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नींव रखी, जो आज भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में प्रासंगिक हैं।
भारतीय गणित के प्रमुख योगदान:
- शून्य और स्थानीय मान प्रणाली: भारत ने शून्य (0) की अवधारणा और दशमलव प्रणाली (स्थानिक मान) की खोज की, जिसने गणना को क्रांतिकारी बना दिया।
- बीजगणित (Algebra): आर्यभट्ट और ब्रह्मगुप्त ने बीजगणित के सिद्धांतों को विकसित किया, जिसमें ऋणात्मक संख्याओं और समीकरणों के हल शामिल थे।
- त्रिकोणमिति (Trigonometry): ‘ज्या’ (Sine) और ‘कोटिज्या’ (Cosine) की अवधारणाएँ भारत में विकसित हुईं और पश्चिमी गणित का आधार बनीं।
- पाइथागोरस प्रमेय: बौधायन ने पाइथागोरस प्रमेय के सिद्धांत का ज्ञान ५०० वर्ष पहले ही दे दिया था।
- कलन (Calculus): संगमग्राम के माधव और नीलकंठ सोमयाजी जैसे गणितज्ञों ने कैलकुलस के प्रारंभिक सिद्धांतों का विकास किया।
- वैदिक गणित: वेदों से निकली यह पद्धति मानसिक गणनाओं और जटिल समस्याओं को सरलता से हल करने की सूत्र-आधारित प्रणाली है, जो आज भी उपयोगी है।
प्रमुख गणितज्ञ और उनके कार्य:
- आर्यभट्ट (5वीं सदी): ‘पाई’ (π) का मान ज्ञात किया, आर्यभट्टीय सूत्र दिए, और खगोल विज्ञान व गणित में योगदान दिया।
- ब्रह्मगुप्त (7वीं सदी): शून्य (0) और ऋणात्मक संख्याओं के साथ काम करने के नियम स्थापित किए।
- भास्कराचार्य (12वीं सदी): ‘लीलावती’ नामक ग्रंथ लिखा और बीजगणित में महत्वपूर्ण कार्य किए।
- श्रीनिवास रामानुजन (20वीं सदी): संख्या सिद्धांत, अनंत श्रृंखला (Divergent Series) और रामानुजन संख्याओं (जैसे 1729) के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं, जिनके कार्य आज क्रिप्टोग्राफी में उपयोग होते हैं।
भारतीय ज्ञान परंपरा में गणित सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि विज्ञान, ज्योतिष और दर्शन से जुड़ा एक अभिन्न अंग रहा है, जो वेदों, उपनिषदों और अन्य ग्रंथों में समाहित है। इस परंपरा ने भारतीय सभ्यता को तकनीकी और बौद्धिक रूप से समृद्ध किया और वैश्विक गणितीय विकास को नई दिशा दी।
इसी आधारशिला के आधार पर पीपुल्स यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी एवं मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (मेपकास्ट) भोपाल द्वारा राष्ट्रीय गcत दिवस 22 दिसम्बर को महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि, माननीय प्रोफेसर डॉ. सभाकांत द्विवेदी, इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस फॉर हायर एजुकेशन, भोपाल, पीपुल्स यूनिवर्सिटी, डीन स्टूडेंट वेलफेयर श्री संजय सिंह राजपूत, इंडियन नॉलेज सिस्टम के अध्यक्ष डॉ. भास्कर गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार (एकेडमिक) डॉ. प्रदीप बघेल, एडमिशन डीन डॉ विजय आनंद और संस्थान के प्रिंसिपल डॉ. दीपक पालीवाल, माँ सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया।
इस अवसर पर आयोजित की गई कार्यशाला, में गणितीय पोस्टर और गणितीय मॉडल मेकिंग प्रतियोगिता हुई जिसमे करीब 250 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया जिसका मुख्य उद्देश्य युवाओं में गणित के प्रति रुचि बढ़ाना, तार्किक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना तथा यह संदेश देना था कि गणित देश के वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक विकास की सशक्त आधारशिला है। इस समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सभा कांत द्विवेदी उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान, भोपाल अपने उदबोधन में छात्र छात्राओं को दुनिया भर में स्वदेसी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित एवं उत्साहित किया, उन्होंने अपने उद्बोधन में कई उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कालिदास एवं विद्योत्तमा की कहानी को गणित से जोड़ कर छात्र एवं छात्राओं को समझया एवं मच्छर एवं साप का उदाहरण देते हुए यह भी बताया कि गणित के भय (फोबिया) को कैसे भगाया जा सकता हैं और इसे कैसे आसानी से समझा जा सकता हैI
संस्था केप्राचार्य डॉ.दीपक पालीवाल ने महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन की कठिनाइयां एवं साधारण उपलब्धियां पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि को संस्था के प्राचार्य डॉ दीपक पालीवाल, एवं डॉ अभय सिंह , डॉ दीप्ति अग्रवाल, प्रोफे. अनामिका शर्मा , डॉ शशिकांत शर्मा ने स्मृति चिन्ह एवं फल टोकरी प्रदान कर सम्मान किया गया, कार्यक्रम का संचालन बायोटेक्नोलॉजी के छात्र शुभम शर्मा द्वारा किया गया।
पीपुल्स यूनिवर्सिटी के कुलपति, कुलसचिव, डीन एकेडमिक, राष्ट्रीय गणित दिवस के सफल आयोजन के लिए समन्वयको को बधाई दी I
निष्कर्ष- अंततः यह कहा जा सकता है कि पीपुल्स यूनिवर्सिटी, भोपाल के स्कूल ऑफ़ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी एवं मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल (मेपकास्ट) के सहयोग से आयोजित यह कार्यशाला महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती न केवल राष्ट्रीय गणित दिवस की भावना के अनुरूप था, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित की मूल अवधारणाओं को आधुनिक शैक्षणिक परिवेश में प्रभावी रूप से स्थापित करने की दिशा में एक सार्थक, सफल एवं प्रेरणादायी पहल सिद्ध हुआ। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय की स्वस्थ, संतुलित एवं मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।