पीपल्स यूनिवर्सिटी में गणेश उत्सव पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। यह शुभ अवसर खुशी, प्रार्थना और भजन से भरा था।पीपल्स यूनिवर्सिटी के फार्मेसी बिभाग  स्टूडेंट्स और स्टाफ़ ने पूरी श्रद्धा के साथ इसमें हिस्सा लिया।

गणेश उत्सव का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश के जन्मोत्सव का जश्न मनाना, विघ्नहर्ता के रूप में उनकी पूजा करना, ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करना, और सामाजिक एकता व राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा देना है, जिसे बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक सार्वजनिक पर्व के रूप में लोकप्रिय बनाया था, ताकि सभी लोग एक मंच पर आ सकें। यह त्योहार आध्यात्मिक शुद्धि, आत्म-सुधार और जीवन की बाधाओं को दूर करने का भी प्रतीक है। 

गणेश उत्सव और भारतीय ज्ञान परंपरा का संबंध:

  1. ज्ञान के संरक्षक: भगवान गणेश को ‘ज्ञान के देवता’ (God of Knowledge) के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि उन्होंने महाभारत के महाकाव्य को लिखने में मदद की थी, जिससे वे विद्या और बुद्धि के संरक्षक कहलाए.
  2. वैदिक जड़ें: गणपति अथर्वशीर्ष जैसे उपनिषद, जो अथर्ववेद से जुड़े हैं, गणपति को ज्ञान और शिक्षा का अवतार बताते हैं, जो वैदिक साहित्य में उनके गहरे महत्व को दर्शाता है.
  3. गणपतिका अर्थ: ‘गणपति’ का अर्थ ‘गणों का स्वामी’ या ‘प्रजापति’ (ब्रह्मा) के समान है, जो सृष्टि और ज्ञान के वितरण के कर्तव्य को दर्शाता है, जैसा कि में बताया गया है.
  4. प्रथमपूज्य: सभी शुभ और अशुभ कार्यों के आरंभ में गणेश जी की पूजा का प्रावधान है, क्योंकि वे बाधाओं को दूर करते हैं और बुद्धि प्रदान करते हैं, जो भारतीय ज्ञान-परंपरा में हर कार्य के लिए आवश्यक है. 

गणेश उत्सव का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व (ज्ञान का प्रसार):

  1. राष्ट्रीय एकता: बाल गंगाधर तिलक ने इस पर्व को सार्वजनिक और सामाजिक बनाया, जिससे यह राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया, जिससे जन-जागरण हुआ.
  2. सामुदायिक जुड़ाव: यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है, सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है, और सामाजिक समरसता (Social Harmony) का उदाहरण प्रस्तुत करता है.
  3. नैतिक शिक्षा: गणेश जी की प्रतिमा के साथ ‘बुद्धि’ और ‘सिद्धि’ (ज्ञान और सफलता) की पत्नियों को दर्शाना, ज्ञान के विवेकपूर्ण उपयोग और जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के भारतीय मूल्यों को दर्शाता है.
  4. संस्कारों का विसर्जन: 10 दिनों तक मूर्ति स्थापना और फिर विसर्जन का अर्थ है, मन पर जमी वासनाओं और अज्ञानता की धूल को साफ कर, एक निर्मल और परिष्कृत मन के साथ जीवन जीना. 

संक्षेप में, गणेश उत्सव भारतीय ज्ञान परंपरा की गहरी समझ और मूल्यों का उत्सव है, जो ज्ञान, बुद्धि, सामुदायिक एकता और आध्यात्मिक शुद्धि पर केंद्रित है, और इसे ‘गणपति बप्पा’ के आशीर्वाद के साथ मनाया जाता है. 

धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्य:

  • विघ्नहर्ता की पूजा: भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ (बाधाओं को दूर करने वाले) और ‘प्रथम पूज्य’ माना जाता है, इसलिए हर शुभ कार्य की शुरुआत इनसे होती है।
  • ज्ञान और बुद्धि: यह त्योहार बुद्धि और ज्ञान के देवता गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है, जिससे जीवन में सफलता मिले।
  • समृद्धि और सौभाग्य: भक्त धन और सौभाग्य के लिए गणेश जी की पूजा करते हैं।
  • आध्यात्मिक नवीनीकरण: यह आत्मा को शुद्ध करने और ईश्वर के करीब आने का समय है, जिसमें प्रार्थना और उपवास किए जाते हैं। 

सामाजिक और ऐतिहासिक उद्देश्य:

  • सामाजिक एकता: लोकमान्य तिलक ने इसे सार्वजनिक उत्सव बनाकर जाति और वर्ग के भेद भुलाकर लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया, जैसा कि Wikipedia बताता है।
  • स्वतंत्रता आंदोलन: यह पर्व राष्ट्रीयता की भावना जगाने और अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने का माध्यम बना, जैसा       

कि अमर उजाला में बताया गया है। 

सांस्कृतिक और पर्यावरणीय उद्देश्य:

  • सामुदायिक जुड़ाव: यह पर्व लोगों को साथ लाता है और सद्भाव बढ़ाता है।
  • पर्यावरण जागरूकता: आजकल, मिट्टी की मूर्तियों और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देकर प्रदूषण कम करने पर भी जोर दिया जा रहा है। 

संक्षेप में, गणेश उत्सव केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन, एकता और राष्ट्रवाद का एक सशक्त माध्यम है। 

गणेशोत्सव का निष्कर्ष यह है कि यह सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि एकता, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है, जो हमें बाधाओं पर विजय पाने, नई शुरुआत करने और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रेरणा देता है; यह हमें सामाजिक सद्भाव सिखाता है और ‘गणपति बाप्पा मोरया’ के जयघोष के साथ जीवन में सकारात्मकता लाता है, भले ही उत्सव मिट्टी की मूर्तियों और पर्यावरणीय चेतना के साथ समाप्त होता है। 

गणेशोत्सव के मुख्य निष्कर्ष:

  • धार्मिक महत्व: यह भगवान गणेश के जन्मोत्सव का प्रतीक है, जो विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाले) और बुद्धि के देवता हैं।
  • सामाजिक एकता: यह त्योहार सभी धर्मों और जातियों के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता मजबूत होती है, जैसा कि लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किया था।
  • ज्ञान और समृद्धि: यह समृद्धि, बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि का प्रतीक है, और लोग नई शुरुआत के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
  • सांस्कृतिक विरासत: यह भारतीय संस्कृति, कला और परंपराओं को प्रदर्शित करता है, जिसमें पारंपरिक मिट्टी की मूर्तियाँ बनाना और मोदक जैसे विशेष व्यंजन बनाना शामिल है।
  • पर्यावरण चेतना: आजकल, पर्यावरण के अनुकूल गणेशोत्सव पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें मिट्टी की मूर्तियों के उपयोग और प्रदूषण-मुक्त विसर्जन पर ध्यान दिया जाता है।
  • जीवन का दर्शन: यह सिखाता है कि जीवन में हर अंत एक नई शुरुआत लाता है, और हमें साहस और दृढ़ संकल्प के साथ बाधाओं का सामना करना चाहिए। 

संक्षेप में, गणेशोत्सव हमें धार्मिक आस्था, सामाजिक जुड़ाव और व्यक्तिगत विकास के माध्यम से जीवन में सकारात्मकता और सद्भाव लाने का संदेश देता है, जो हर साल ‘गणपति बाप्पा मोरया’ के जयकारे के साथ समाप्त होता है।